'सीख : पानी से'


 सफलताओं के इस महासागर में,

तुम्हें मिला एक झरना है,

फैसला अब तुम्हारा है,

की तुम्हें इसी में खुश रहना है,

या जीवन में आगे बढ़कर,

नदियों सा बहना है,

जब लगे तुम्हें आगे बढ़कर,

की नदियाँ तो छोटा गहना है,

तब तुम ठान लेना,

महासागर में ही तुम्हें रहना है,

अवश्य ही कुछ पल जीवन के,

नालों से भी गुजरेंगे,

ठानी है आगे बढ़ने की,

तो यह पल भी नहीं ठहरेंगे,

बात तारों की हो,

तब कहीं जा कर चाँद नसीब आता है,

ऊँची लहरों से ना लड़ो,

तो जीवन नलकूपों में बस जाता है,

व्यर्थ नहीं जाता कोई भी प्रयास,

नक्शे में आने का,

संगत भी कुछ नहीं,

जब इरादा हो कुछ कर जाने का,

संघर्ष ही इस जीवन में,

हर एक धारा को करना है,

मात्र यही एक मंत्र है,

यदि तुम्हें बहते रहना है |

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