'चाहत'

 


तुझसे चाहत कुछ इस कदर है,

की तेरी चाह में हम,

खुद को चाहने लगे|

तुझसे प्यार करना कोई बहाना नहीं था,

बस देश की खातिर तुझसे प्यार कर बैठे|

तुझसे लगाव इतना है,

की हम रात और दिन गवा बैठे |

तेरी चाहत में हम इस कदर सवर बैठे हैं,

की रौब और रूतबा भी संग मै चलते है |

तुझसे चाहत कुछ इस कदर है,

की तेरी चाह में हम,

खुद को चाहने लगे|

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